रामपुरा ढिल्लो: इतिहास और संस्कृति से जुड़ा एक समृद्ध गांव

संवाद सहयोगी, नाथूसरी चौपटा: हरियाणा के सिरसा जिले में स्थित रामपुरा ढिल्लो गांव अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। लगभग 195 वर्ष पूर्व बसाया गया यह गांव राजस्थान सीमा से सटा हुआ है, जिसके कारण यहां की संस्कृति पर राजस्थानी प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इस गांव की वर्तमान जनसंख्या लगभग 4000 है, जिनमें से 2800 मतदाता हैं। गांव का कुल क्षेत्रफल 7400 बीघा है।

गांव की स्थापना और इतिहास

गांव के बुजुर्गों और ऐतिहासिक संदर्भों के अनुसार, संवत 1883 (सन 1826 ईस्वी) में राजस्थान के चुरू जिले के रामपुरा गांव से ढिल्लो गोत्र के तीन प्रमुख व्यक्ति बिजा राम, सदाराम और खेतराम यहां आए और इस स्थान को बसाया। उन्होंने अपने पूर्वजों के गांव “रामपुरा” के नाम के साथ अपने गोत्र “ढिल्लो” को जोड़कर इसे “रामपुरा ढिल्लो” नाम दिया।

संवत 1923 में, ब्रिटिश अधिकारी जार्ज जोजन ने गांव की 7400 बीघा भूमि की पैमाइश कर तीन प्रमुख पट्टियों में विभाजित किया:

  1. तुलछा पट्टी
  2. ताजू पट्टी
  3. खेताराम पट्टी

इसके बाद, गांव में जाट बिरादरी के अन्य गोत्रों के अलावा विभिन्न जातियों के लोग भी आकर बसने लगे। वर्तमान में, गांव की 65% जनसंख्या जाट समुदाय से संबंधित है। गांव में पुराना जोहड़ (तालाब) और पीपल के वृक्ष इसकी प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाते हैं।

सांस्कृतिक एवं राजस्थानी प्रभाव

गांव की भौगोलिक स्थिति के कारण, यहां की संस्कृति पर राजस्थान की छाप साफ देखी जा सकती है। यह प्रभाव वेशभूषा, भाषा, खान-पान, और परंपराओं में झलकता है। गांव के प्रमुख सांस्कृतिक तत्व इस प्रकार हैं:

  • राजस्थानी भाषा और बोली: स्थानीय लोग हरियाणवी के साथ-साथ मारवाड़ी और राजस्थानी भाषा भी बोलते हैं।
  • पारंपरिक पोशाक: पुरुष पारंपरिक पगड़ी, धोती और कुर्ता पहनते हैं, जबकि महिलाएं घाघरा-चोली और ओढ़नी धारण करती हैं।
  • लोक संगीत और नृत्य: शादी-विवाह और अन्य उत्सवों में गोरबंद, घूमर और हरियाणवी रागनियों की धूम रहती है।
धार्मिक महत्व और मंदिर

गांव रामपुरा ढिल्लो धार्मिक रूप से भी काफी समृद्ध है। यहां कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें स्थानीय श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है।

  1. भगवान कृष्ण मंदिर: यह गांव का सबसे प्राचीन मंदिर है, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। यहां जन्माष्टमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
  2. संत बिजलाईनाथ मंदिर: यह मंदिर लगभग 130 वर्ष पुराना है और इसकी स्थापना संत बिजलाईनाथ ने की थी।
    • संत बिजलाईनाथ मूलतः बरूवाली गांव से आए थे और उन्होंने इस स्थान पर तपस्या की।
    • लगभग 50 वर्ष पूर्व, उनके समाधि लेने के बाद, गांववासियों ने यहां मंदिर का निर्माण किया।
    • मंदिर परिसर में संत द्वारा बनवाया गया पानी का कुंड और पुराना जोहड़ स्थित है, जो गांव के ऐतिहासिक स्थलों में शामिल है।
  3. हनुमान मंदिर: यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है और यहां मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा-अर्चना होती है।
  4. रामदेव मंदिर: यह मंदिर राजस्थान के प्रसिद्ध लोकदेवता बाबा रामदेव को समर्पित है, जो हरियाणा और राजस्थान के लोगों की श्रद्धा के केंद्र में हैं।
गांव की अर्थव्यवस्था और कृषि

गांव की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। यहां की भूमि उपजाऊ है और किसान पारंपरिक तथा आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके गेहूं, सरसों, चना, बाजरा और गन्ना जैसी फसलें उगाते हैं।

  • पशुपालन भी प्रमुख व्यवसाय है। यहां गाय, भैंस और बकरियों का पालन किया जाता है।
  • कृषि सिंचाई के लिए जोहड़ और तालाबों का उपयोग किया जाता है।
  • जैविक खेती और आधुनिक तकनीकों को अपनाने से किसानों को अधिक लाभ मिलने की संभावना है।
गांव में शिक्षा और विकास

गांव में सरकारी विद्यालय उपलब्ध हैं, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को नजदीकी कस्बों या शहरों में जाना पड़ता है।

  • शिक्षा सुविधाएं: गांव में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय हैं, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए बेहतर संसाधनों की आवश्यकता है।
  • सड़क और परिवहन: गांव को सिरसा और अन्य कस्बों से जोड़ने वाली सड़कें बेहतर स्थिति में हैं, लेकिन और अधिक सुधार की आवश्यकता है।
  • स्वास्थ्य सुविधाएं: गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मौजूद है, लेकिन बड़ी चिकित्सा सुविधाओं के लिए सिरसा जाना पड़ता है।
गांव की सामाजिक व्यवस्था और पंचायत प्रणाली

गांव में पंचायत प्रणाली प्रभावी रूप से कार्यरत है। सामाजिक एकता बनाए रखने के लिए पंचायत द्वारा विभिन्न निर्णय लिए जाते हैं।

  • सामुदायिक सहयोग: विवाह, धार्मिक आयोजन और त्यौहार सामूहिक रूप से मनाए जाते हैं।
  • महिला सशक्तिकरण: महिलाएं भी खेती और घरेलू उद्योगों में योगदान दे रही हैं।
  • खेल और युवा कार्यक्रम: कुश्ती और कबड्डी जैसे पारंपरिक खेलों को बढ़ावा दिया जाता है।
गांव के विकास की संभावनाएं

यदि सरकार और प्रशासन कुछ महत्वपूर्ण सुधार करें, तो रामपुरा ढिल्लो को एक आदर्श गांव के रूप में विकसित किया जा सकता है।

  • सड़क और परिवहन व्यवस्था में सुधार किया जाए।
  • कृषि में उन्नत तकनीकों और सिंचाई संसाधनों को बढ़ावा दिया जाए।
  • गांव में उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जाए।
  • स्थानीय कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाए ताकि युवाओं को रोजगार मिले।
निष्कर्ष

रामपुरा ढिल्लो गांव सिरसा जिले का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर स्थल है। यहां का राजस्थानी प्रभाव, धार्मिक आस्था और कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था इसे एक विशिष्ट पहचान प्रदान करते हैं। यदि गांव में बुनियादी ढांचे के विकास और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जाए, तो यह आने वाले समय में एक समृद्ध और विकसित गांव के रूप में उभर सकता है।

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