मास्टर रोहताश जांगड़ा: शिक्षा और समाज सेवा के प्रेरणास्रोत

परिचय

साथियों, प्रणाम!अच्छे लोग समाज की रीढ़ होते हैं, और उन्हीं में से एक हैं मास्टर रोहताश जांगड़ा, जिनका समर्पण और सेवा भाव आज भी प्रेरणा का स्रोत है। हरियाणा के सिरसा जिले से मात्र 45 किलोमीटर दूर स्थित राजस्थान की सीमा के समीप बसे गांव गुसाईयाना में जन्मे मास्टर रोहताश जी वर्तमान में गांव अरनियावाली के स्वामी विवेकानंद स्कूल में प्रिंसिपल के रूप में कार्यरत हैं। उनकी कहानी सिर्फ एक शिक्षक की नहीं, बल्कि एक समाजसेवी की भी है, जिन्होंने शिक्षा को अपने जीवन का मिशन बना लिया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

मास्टर रोहताश जी का जन्म श्री कोहर सिंह जांगड़ा जी के घर हुआ, जो पेशे से किसान थे और मात्र 4 किले भूमि पर खेती करके परिवार का पालन-पोषण करते थे।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव गुसाईयाना में हुई, जबकि दसवीं कक्षा उन्होंने रामपुरा ढिल्लों से उत्तीर्ण की। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के विद्यार्थी रहे रोहताश जी का जीवन आर्थिक संघर्षों से भरा था। इन कठिनाइयों ने ही उन्हें यह संकल्प लेने पर मजबूर किया कि जब वे जीवन में आगे बढ़ेंगे, तो गरीब और कमजोर बच्चों की मदद अवश्य करेंगे, ताकि कोई अन्य विद्यार्थी उनके जैसे कष्टों का सामना न करे।

उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर होते हुए उन्होंने सीनियर सेकेंडरी की पढ़ाई जमाल से पूरी की। फिर उन्होंने आईटीआई सिरसा से ऑटोमोबाइल में डिप्लोमा किया। लेकिन उनका शिक्षा के प्रति जुनून यहीं नहीं थमा। उन्होंने नेशनल कॉलेज सिरसा से बीएससी की, फिर सीडीएलयू सिरसा से गणित में एमएससी की डिग्री प्राप्त की। इसके अतिरिक्त:

  • बीए और एमए (समाजशास्त्र) – महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी, बीकानेर
  • बी.एड – स्वामी दयानंद कॉलेज, बठिंडा (पंजाब यूनिवर्सिटी)
  • एमए (राजनीति विज्ञान) – कोटा यूनिवर्सिटी, वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी
  • योगा और साइंस में डिप्लोमा – कोटा ओपन यूनिवर्सिटी

शिक्षा प्राप्ति के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बना दिया।

शिक्षण और सामाजिक योगदान

अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद मास्टर रोहताश जी ने गांव रामपुरा ढिल्लों के एक प्राइवेट स्कूल में अध्यापक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने राजस्थान के भादरा में श्याम स्कूल और गंगानगर स्थित डिफेंस एकेडमी रिडमलसर में भी सेवाएं दीं।

वर्तमान में, वे हरियाणा के सिरसा जिले के गांव अरनियावाली के स्वामी विवेकानंद स्कूल में प्रिंसिपल के रूप में कार्यरत हैं।

उनकी पहचान सिर्फ एक शिक्षक के रूप में नहीं, बल्कि गरीब और वंचित बच्चों के संरक्षक के रूप में भी है।

निःशुल्क शिक्षा अभियान

मास्टर रोहताश जी का एक मुख्य उद्देश्य यह है कि कोई भी बच्चा आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से वंचित न रहे। इसी उद्देश्य से वे:

  • हर रोज़ स्कूल की छुट्टी के बाद दो घंटे गरीब बच्चों को निःशुल्क पढ़ाते हैं।
  • जरूरतमंद विद्यार्थियों को किताबें, कापियां और अन्य शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध करवाते हैं।
  • आसपास के गांवों – बकरियांवाली, रूपावास आदि के वंचित बच्चों की शिक्षा का विशेष ध्यान रखते हैं।

उनका मानना है कि “एक शिक्षक केवल पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाता, बल्कि समाज के भविष्य का निर्माण करता है।”

संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण

मास्टर रोहताश जी का हृदय बेहद संवेदनशील और परोपकारी है। एक बार उन्होंने साझा किया कि जब वे बच्चों को कहते हैं कि वे अपने माता-पिता को बुलाकर लाएँ, तो कुछ बच्चे रोते हुए कहते हैं – “सर, हमारे तो माता-पिता हैं ही नहीं, हम तो किसी रिश्तेदार के यहाँ रहते हैं।”

इस प्रकार की घटनाएँ उनकी आँखें नम कर देती हैं और वे अपनी जिम्मेदारी को और अधिक गहराई से महसूस करते हैं।

समाज में सकारात्मक बदलाव की अपील

मास्टर रोहताश जी का सपना है कि उनका यह अभियान एक मिशन बन जाए। वे सिरसा जिले के सभी शिक्षकों से अपील करते हैं कि वे भी अपने-अपने गांव में गरीब और बेसहारा बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दें।

उनका मानना है कि “आपके जीवन के कुछ अनमोल पल और आपकी थोड़ी सी सहायता इन गरीब बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए एक बड़ी सौगात बन सकती है।”

एक प्रेरणादायक कहानी

एक बार, एक व्यक्ति समुद्र किनारे बैठकर उन मछलियों को उठाकर वापस समुद्र में डाल रहा था जो किनारे पर आकर मरने की कगार पर थीं। पास खड़े एक अन्य व्यक्ति ने पूछा:

“तुम्हारे ऐसा करने से क्या फर्क पड़ेगा?”

उस व्यक्ति ने एक मछली को उठाकर समुद्र में फेंका और कहा:

“इस मछली के जीवन में तो फर्क पड़ गया, है न?”

यह कहानी मास्टर रोहताश जी के जीवन के उद्देश्य को परिभाषित करती है। वे हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि किसी गरीब बच्चे का भविष्य अंधकारमय न हो।

युवा पीढ़ी के लिए संदेश

मास्टर रोहताश जी का मानना है कि माता-पिता को अपने बच्चों को नशे से बचाने के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए।

  • माता-पिता को बच्चों के मोबाइल फोन को समय-समय पर चेक करना चाहिए, ताकि वे उनके गतिविधियों से अवगत रहें।
  • नशे के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए युवाओं को जागरूक करने की जिम्मेदारी हम सभी की है।
निष्कर्ष

मास्टर रोहताश जांगड़ा जी न केवल एक शिक्षक हैं, बल्कि वे समाज के भविष्य निर्माता भी हैं। उनकी शिक्षा और समाज सेवा की यात्रा हर किसी के लिए प्रेरणादायक है।

हम उनके इस महान कार्य के लिए उन्हें हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई देते हैं।

“निकालिए अपने जीवन के कुछ पल उन लोगों के लिए जो असहाय हैं। बन जाइए उनका सहारा। आपके छोटे-से प्रयास से यह समाज और अधिक सुंदर बन सकता है।”

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